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- Sthala Puranबनारस में केदार घाट के पास गौरी-केदारेश्वर मंदिर है। वाराणसी के गौरी केदारेश्वर महादेव की महिमा अपरंपार है। महादेव के इस अनोखे मन्दिर में मकर संक्रांति के दिन ही खिचड़ी से महादेव प्रकट हुए थे। इसी को आदि मणिकार्णिका या मूल मणिकार्णिका भी कहा जाता है।वाराणसी के इस महादेव को हिमालय के केदारनाथ मंदिर का प्रतिरूप माना जाता है। काशी के इस महादेव को भक्त हिमालय के केदारनाथ का प्रतिरूप मानते हैं। काशी में बसे महादेव के इस स्वरूप को गौरी केदारेश्वर महादेव के नाम से जाता है। काशी के केदारेश्वर महादेव 15 कला में विराजमान है। इनके दर्शन से बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल मिलता है। सोमवार के साथ ही हर दिन यहां सुबह के शाम तक भक्तों की भीड़ होती है। ऐसे हुए थे प्रकट मंदिर के पुजारी धूर्लीपार्ली नारायण शास्त्री ने बताया कि काशी के राजा मानदाता भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। प्रतिवर्ष वो हिमालय के पर्वत पर बसे केदारनाथ के दर्शन को जाते थे और प्रतिदिन भगवान शंकर को खिचड़ी का भोग लगाते थे। इसके बाद जरूरतमंदों में इस खिचड़ी का दान करते थें। बिना दान दिए वो कभी भोजन नहीं करते थे। एक बार जब वो बीमार पड़े तो दर्शन को नहीं जा सके उनके दरवाजे पर भी दान के लिए कोई नहीं पहुंचा तो वो भी भूखे रह गए। खिचड़ी लेकर वो कई दिनों तक दान का इंतजार करते रहे इस बीच एक दिन वो खिचड़ी लेकर सो गए तो भगवान शिव उनकी श्रद्धा भाव से प्रसन्न होकर ने उन्हें सपने में खिचड़ी से प्रकट होकर दर्शन दिया। नींद से जब उनकी आंखें खुली तो सपना सच दिखा खिचड़ी शिवलिंग का स्वरूप बन चुका था। जो कालांतर में गौरी केदारेश्वर के नाम से जाना जाता है। मरने वालों को नहीं मिलती भैरव यातना त्रिशूल के तीन शूल के प्रतिरूप में काशी तीन खंड में बंटा है। मध्य में विशेश्वर जिनके प्रधान काशी विश्वनाथ स्वयं उत्तर भाग को ओमकालेश्वर और दक्षिण भाग को केदार खण्ड के नाम से जाना जाता है। काशी के कोतवाल काल भैरव है इसलिए यहां मरने वालों को यम यातना से नहीं मिलती बल्कि काशी के दंडाधिकारी उन्हें उनके कर्मों का फल देते हैं। लेकिन केदारखंड में मरने वालों को इन भैरव यातना भी नहीं मिलती। यह मंदिर 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के कहर से बच गया था। इसी के समीप गौरी कुण्ड है। 
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- Alankar of DeityAnna Shringar 
- Prayers and BenefitsSpecial Vratas and Prayersशुक्लाश्विन दिनेश्ववेवं दिन पन्चदशावधि | देव निर्यडंनराः सर्वे काशी मायन्ति सेवितुम|| विश्वेशादिन नमस्कृत्य श्रीमत्केदार सन्निधिं | (#काशीकेदारमहात्म्य) अश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से अमावश्या तिथि तक काशी का दर्शन , स्नान और श्री काशी विश्वनाथ जी का दर्शन करने एवं श्री गौरी केदारेश्वर जी का दर्शन करने के लिए पंद्रह दिन तक देवता , समस्त तीर्थ , और अमर ऋषि सभी दिव्यात्मा लोग काशी में आते है। Offerings to DeityStotras and Mantras
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